जाने क्यों.... जाने क्यों....
जब हो खिलाफ़ समंदर क्यों जब हो खिलाफ़ समंदर क्यों
होगा नहीं कुछ अब तेरे अग्नि-परीक्षा से कल की सीता नहीं वो अब गीता बन चुकी है ! होगा नहीं कुछ अब तेरे अग्नि-परीक्षा से कल की सीता नहीं वो अब गीता बन ...
कहते कहते रुक कर वह पूरा सवाल दाग देता है.... तुम्हे अधिकार चाहिए क्यों? कहते कहते रुक कर वह पूरा सवाल दाग देता है.... तुम्हे अधिकार चाहिए क्यों?
रेत की तरह कभी वो फिसल तो नहीं जायेगा ये उलझन सताती हैं...! रेत की तरह कभी वो फिसल तो नहीं जायेगा ये उलझन सताती हैं...!
जो पल मिले हैं साथ के उन्हें भरपूर जिया जाये। जो पल मिले हैं साथ के उन्हें भरपूर जिया जाये।